Swami Vivekananda Biography/स्वामी विवेकानंद जी का जीवन परिचय।

स्वामी विवेकानंद जी का जीवन परिचय।
Swami Vivekananda Biography

स्वामी विवेकानन्द जी ने तीस वर्ष की आयु में अमेरिका में स्थित शिकागो नामक स्थान में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत के वेदो को अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द के कारण ही महत्त्व मिला। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी स्थापित है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। स्वामी जी ने अपने भाषण की शुरुआत "मेरे अमेरिकी भाइयों एवं बहनों" बोलने के साथ की थी । उनके संबोधन के प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था।

स्वामी विवेकानंद जी का जीवन परिचय।

स्वामी विवेकानन्द जी का जन्म 12 जनबरी 1863 में एक कुलीन कायस्थ परिवार में हुआ था। तथा इनकी मृत्यु 4 जुलाई 1902 को हुई थी। स्वामी जी वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। स्वामी जी का वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था।उनके पिता जी का नाम विश्वनाथ दत्त था वह कलकत्ता हाई कोर्ट के प्रसिद्ध वकील थे। तथा माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था वह एक धार्मिक विचारों की महिला थीं। उनका अधिकांश समय भगवान की पूजा-अर्चना में व्यतीत रहता था। स्वामी जी के दादा जी का नाम दुर्गा चरण दत्ता था वह संस्कृत और फारसी के विद्वान थे। नरेन्द्र की बुद्धि बचपन से बड़ी तीव्र थी और परमात्मा को पाने की लालसा भी प्रबल थी।

स्वामी विवेकानंद जी की शिक्षा।

स्वामी विवेकानन्द जी की शिक्षा - स्वामी जी ने सन् 1871 में आठ साल की उम्र में ईश्वर चंद्र विद्यासागर के मेट्रोपोलिटन संस्थान में दाखिला लिया था जहाँ वे स्कूल जाया करते थे। सन 1877 में उनका पूरा परिवार रायपुर रहने चला गया था। फिर दो साल बाद सन 1879 में कलकत्ता में अपने परिवार के साथ वापस आ गए थे। आने के बाद वह एकमात्र ऐसे छात्र थे जिन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज प्रवेश परीक्षा में प्रथम डिवीजन अंक प्राप्त किये थे और उन्हें कॉलेज में दाखिला मिल गया था। कॉलेज में पढाई के दौरान उन्होंने जिम्नास्टिक्स बॉडी बिल्डिंग और कुश्ती खेल में भाग लिया। तथा स्वामी जी को संगीत का बहुत शौक था।विवेकानंद जी बचपन से ही बहुत पड़ने बाले बालक थे। उन्हें पढ़ने का शौक था इसलिए विभिन्न विषयों पर उनकी अच्छी पकड़ थी। तथा स्वामी जी अपने परिवार के धार्मिक वातावरण से प्रभावित थे। जिसका परिणाम यह मिला की वे दर्शन, धर्म, इतिहास, सामाजिक विज्ञान, कला और साहित्य सहित सभी विषयों के एक उत्साही पाठक थे। तथा वेद, उपनिषद, भगवद् गीता, रामायण, महाभारत और पुराणों के अतिरिक्त अनेक हिन्दू शास्त्रों में गहन रूचि थी। स्वामी जी ने पश्चिमी तर्क, पश्चिमी दर्शन और यूरोपीय इतिहास का अध्ययन जनरल असेम्बली इंस्टिटूशन (वर्तमान स्कॉटिश चर्च कॉलेज) में किया था। सन 1881 में स्वामी जी ने ललित कला की परीक्षा उत्तीर्ण की और 1884 में कला स्नातक की डिग्री पूरी की थी।वह अपने शिक्षकों के सबसे प्यारे छात्र थे।

स्वामी विवेकानंद का परिवार (Swami Vivekananda Family)

पिता का नाम - विश्वनाथ दत्ता
माता का नाम - भुवनेश्वरी देवी
भाई का नाम - भूपेंद्रनाथ दत्ता
बहन - स्वर्णमयी देवी

रामकृष्ण मिशन की स्थापना (Foundation of Ramakrishna Mission)

  1. स्वामी जी को देश और मिट्टी के प्यार ने लंबे समय के लिए विदेश में रहने के लिए अनुमति नहीं दी और विवेकानंद जी साल 1897 में भारत लोट आए । और स्वामी जी कलकत्ता में बस गए जहाँ उन्होंने 1 मई 1897 को बेलूर मठ में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी।
  2. रामकृष्ण मिशन की स्थापना के पीछे का प्राथमिक लक्ष्य गरीब समाज पीड़ित या जरूरत मंद लोगों की मदद करना था। उन्होंने कई माध्यम से अपने देश की सेवा की थी। स्वामीजी और अन्य शिष्यों ने कई स्कूल, कॉलेज, पुनर्वास केंद्र और अस्पताल स्थापित किए।
  3. देश भर में वेदांत की शिक्षाओं को फैलाने के लिए संगठनो, सम्मेलनों और कार्यशालाओं के साथ-साथ पुनर्वास कार्य का उपयोग भी किया गया।
  4. स्वामी विवेकानंद ने श्री रामकृष्ण द्वारा सीखा। विवेकानंद के अनुसार, जीवन का अंतिम उद्देश्य आत्मा की स्वतंत्रता प्राप्त करना है, जिसमें सभी धार्मिक विश्वास शामिल हैं।

स्वामी विवेकानंद जयंती कब मनाया जाता है ?

हर साल 12 जनवरी को, भारत में स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाई जाती है जिसे स्वामी विवेकानंद जयंती या राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में जाना जाता है।

भाईचारे की इससे बड़ी मिसाल और कहीं देखने को नहीं मिलती। इसलिए हर साल 11 सितंबर को पूरी दुनिया यूनिवर्सल ब्रदरहुड डे मनाती है ।

स्वामी विवेकानंद के बारे में
  1. स्वामी विवेकानंद बहुत शांत व्यक्ति थे। 
  2. स्वामी विवेकानंद के पिता की मृत्यु के बाद उनका पूरा परिवार बहुत कठिन समय से गुजरा। उनके परिवार को अच्छे से खाना नहीं मिल पता था। और बहुत गरीब जीवन जीना पड रहा था।
  3. स्वामी जी ने आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन किया था। 
  4. स्वामी जी के मठ में कोई महिला प्रवेश नहीं कर सकती थी। यहां तक ​​कि उनकी मां भी नहीं।
  5. स्वामी विवेकानंद ने भारतीय वेदों और उपनिषदों को अमेरिका और यूरोप के हर देश में पहुँचाया।
  6. स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जिसे वे चलाना जारी रखते हैं।
  7. विवेकानंद जी ने रामकृष्ण से सीखा कि ईश्वर की सेवा से ज्यादा मानवता की सेवा महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपना पूरा जीवन इसी सिद्धांत पर जिया।
  8. स्वामी विवेकानंद जी ने पूरी दुनिया को अपना एक हिस्सा माना लिया था। 
  9. स्वामी विवेकानंद जी ने सैन फ्रांसिस्को में वेदांत सोसाइटी और कैलिफोर्निया में पीस आश्रम की स्थापना की थी।
  10. स्वामी जी के प्रभाव से ही पूरी दुनिया में लोगों ने हिंदू धर्म का महत्व समझा और कई लोगों ने हिंदू धर्म को अपनाया।
  11. 1897 में, स्वामीजी भारत वापस आए थे। 
  12. भारत के युवाओं को संबोधित किया। उनके भाषणों ने महात्मा गांधी, रवींद्रनाथ टैगोर, सुभाष चंद्र बोस जैसे कई लोगों के लिए प्रेरणा दी। 
  13. स्वामीजी चाय और खिचड़ी के शौकीन थे । उन्होंने अपने मठ में नियमित रूप से खिचड़ी तैयार की और सेवा की।


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