तुलसी की पत्तियां (leaves) विटामिन और खनिज का भंडार हैं। इसमें मुख्य रुप से विटामिन सी, कैल्शियम, जिंक, आयरन और क्लोरोफिल पाया जाता है। इसके अलावा तुलसी में सिट्रिक, टारटरिक एवं मैलिक एसिड पाया जाता है। तुलसी के पत्ते अम्लीय प्रकृति के होते हैं एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीबायोटिक गुण तुलसी के पौधे में पाए जाते हैं। ये गुण शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। घर का वातावरण भी तुलसी के पौधे के होने से शुद्ध रहता है। तुलसी कारगर होती है संक्रामक रोगों को दूर करने में।
तुलसी में बहुत सारे रोगों से लड़ने की क्षमता होती है इसलिए इसे 'क्वीन ऑफ हर्ब्स' भी कहा जाता है।
औषधीय उपयोग की दृष्टि से तुलसी की पत्तियां ज्यादा गुणकारी मानी जाती हैं। इनको आप सीधे पौधे से लेकर खा सकते हैं। तुलसी के पत्तों की तरह तुलसी के बीज के फायदे भी बहुत होते हैं। आप तुलसी के बीज और पत्तियों का चूर्ण भी प्रयोग कर सकते हैं। इन पत्तियों में कफ वात दोष को कम करने, पाचन शक्ति एवं भूख बढ़ाने और रक्त को शुद्ध करने वाले गुण होते हैं।
इसके अलावा तुलसी के पत्ते के फायदे बुखार, दिल से जुड़ी बीमारियां, पेट दर्द, मलेरिया और बैक्टीरियल संक्रमण आदि में बहुत फायदेमंद हैं। तुलसी के औषधीय गुणों में राम तुलसी की तुलना में श्याम तुलसी को प्रमुख माना गया है।
तुलसी के फायदे ,उपयोग एवं लाभ
तुलसी का औषधि के रूप में उपयोग चिकित्सीय परामर्श और देखरेख में करना चाहिए।
इसे खाने के बेस्ट तरीकों में से एक ये भी है कि आप इसे काढ़ें या फिर चाय में उबालकर पी सकते हैं।
दिमाग के लिए - सिर दर्द होने पर तुलसी के तेल की एक-दो बूंदें नाक में डालें। इस तेल को नाक में डालने से पुराने सिर दर्द और सिर से जुड़े अन्य रोगों में आराम मिलता है।इसके रोजाना सेवन से मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है और याददाश्त तेज होती है। इसके लिए रोजाना तुलसी की 4-5 पत्तियों को पानी के साथ निगलकर खाएं।
सर्दी, खांसी - तुलसी में मौजूद कैम्फीन, सिनेओल और यूजेनॉल छाती में ठंड और जमाव को कम करने में मदद करते हैं। तुलसी के पत्तों का रस शहद और अदरक के साथ मिलाकर ब्रोंकाइटिस, दमा, इन्फ्लुएंजा, खांसी और सर्दी में असरदार होता है।
नैचुरल इम्यूनिटी बूस्ट - तुलसी विटामिन सी और जिंक से भरपूर होती है। इस तरह यह एक नैचुरल इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में काम करती है और संक्रमण से बचती है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-फंगल गुण होते हैं जो हमें कई तरह के संक्रमणों से बचाते हैं।
कैंसर - तुलसी में मौजूद फाइटोकेमिकल्स में मजबूत एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। वे हमें स्किन, लिवर, मुंह और फेफड़ों के कैंसर से बचाने में मदद करते हैं।
त्वचा और बालों - तुलसी स्किन के दाग-धब्बों और मुंहासों को दूर करने में मदद करती है। यह एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होती है और यह समय से पहले बूढ़ा होने से रोकने में मदद करती है। तुलसी हमारे बालों की जड़ों को भी मजबूत करती है, जिससे बालों का झड़ना रुक जाता है। इसी के साथ इसके एंटीफंगल गुण फंगस और डैंड्रफ को रोकते हैं।
मुंह के छालों - तुलसी में दांत और मसूड़ों को मजबूत करने वाले गुण होते हैं। इसके अलावा, यह मुंह के छालों को काम कर सकता है
तनाव और थकान - थका देने वाले दिन के बाद तुलसी ड्रिंक पीने से तनाव और थकान दूर करने में मदद मिलती है
सिर में जुएं - तुलसी के पौधे से तुलसी की पत्तियां लेकर उससे तेल बनाकर बालों में लगाने से बालो में मौजूद जूं और लीखें मर जाती हैं।
तुलसी के पत्ते - तुलसी का तेल बनाने में प्रयोग किया जाता है।
रतौंधी में लाभकारी - कई लोगों को रात के समय ठीक से दिखाई नहीं पड़ता है, इस समस्या को रतौंधी कहा जाता है। इसके लिए आपको दो से तीन बूँद तुलसी के पत्ते का रस दिन में 2-3 बार आंखों में डालें।
आंखों की बीमारी - अगर आप साइनसाइटिस के मरीज हैं तो तुलसी की पत्तियों को मसलकर सूघें। इन पत्तियों को मसलकर सूंघने से साइनसाइटिस रोग से जल्दी आराम मिलता है।
कान दर्द में - तुलसी की पत्तियां कान के दर्द और सूजन से आराम दिलाने में भी असरदार है। कान में दर्द होने पर तुलसी के रस को गर्म करके 2-2 बूँद कान में डालें। इससे कान दर्द से जल्दी आराम मिलता है।
दांत दर्द में आराम - तुलसी की पत्तियां दांत दर्द से आराम दिलाने में भी कारगर हैं। दांत दर्द से आराम पाने के लिए काली मिर्च और तुलसी के पत्तों की गोली बनाकर दांत के नीचे रखने से दांत के दर्द से आराम मिलता है।
गले को साफ करने में - तुलसी की पत्तियां गले से जुड़े विकारों को दूर करने में बहुत ही लाभदायक है। गले की समस्याओं से आराम पाने के लिए तुलसी के रस को हल्के गुनगुने पानी में मिलाकर उससे कुल्ला करें। इसके अलावा तुलसी रस-युक्त जल में हल्दी और सेंधा नमक मिलाकर कुल्ला करने से भी मुख, दांत तथा गले के विकार दूर होते हैं।
दाद और खुजली - दाद, खुजली और त्वचा की अन्य समस्याओं में रोजाना तुलसी खाने व तुलसी के अर्क को प्रभावित जगह पर लगाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है।
मासिक धर्म - मासिक धर्म के दौरान कमर में दर्द हो रहा हो तो एक चम्मच तुलसी का रस लें। इसके अलावा तुलसी के पत्ते चबाने से भी मासिक धर्म नियमित रहत
मौसमी बुखार - बारिश के मौसम में रोजाना तुलसी के पांच पत्ते खाने से मौसमी बुखार व जुकाम जैसी समस्याएं दूर रहती है।
मुंह का संक्रमण - तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है। मुंह के छाले दूर होते हैं व दांत भी स्वस्थ रहते हैं।
सर्दी का बुखार - तुलसी की जड़ का काढ़ा ज्वर (बुखार) नाशक होता है। तुलसी, अदरक और मुलैठी को घोटकर शहद के साथ लेने से सर्दी के बुखार में आराम होता है।
खून साफ करना - यह खून को साफकर शरीर को चमकीला बनाती है।
त्वचा संबंधी समस्या - त्वचा संबंधी समस्या में नीबू रस के साथ तुलसी की पांच बूंद डालकर प्रयोग करने से लाभ होता है।
सांप काटने पर - 5-10 मिली तुलसी के रस को पिलाने से तथा इसकी मंजरी और जड़ों को पीसकर सांप के काटने वाली जगह पर लेप करने से सर्पदंश की पीड़ा में लाभ मिलता है। अगर रोगी बेहोश हो गया हो तो इसके रस को नाक में टपकाते रहना चाहिए।
चोट लगने पर - चोट लगने पर भी तुलसी का उपयोग किया जाता है क्योंकि इसमें रोपण और सूजन को कम करने वाला गुण होता है। चोट के घाव एवं उसकी सूजन को भी ठीक करने में सहायक होता है |
साँसों की दुर्गंध - साँसों की दुर्गन्ध ज्यादातर पाचन शक्ति कमजोर हो जाने के कारण होती है | तुलसी अपने दीपन और पाचन गुण के कारण साँसों की दुर्गन्ध को दूर करने में सहायक होती है | इसमें अपनी स्वाभाविक सुगंध होने के करण भी यह सांसों की दुर्गन्ध का नाश करती है।
मासिक धर्म - तुलसी का बीज कमजोरी दूर करने में सहायक होता है, जिसके कारण मासिक धर्म होने के दौरान जो कमजोरी महसूस होती है उसको दूर करने में मदद करता है।
किडनी स्टोन (पटरी ) - तुलसी शरीर को डिटॉक्सीफाई करती है और इसमें मूत्रवर्धक गुण होते हैं। यह शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को कम करता है, जो किडनी में पथरी बनने का मुख्य कारण है। यूरिक एसिड के लेवल में कमी से भी गाउट के रोगियों को राहत मिलती है। हालांकि पथरी होने पर सिर्फ घरेलू उपायों पर निर्भर ना रहें बल्कि नजदीकी डॉक्टर से अपनी जांच करवायें।
नपुंसकता में लाभकारी - तुलसी बीज चूर्ण अथवा मूल चूर्ण में बराबर की मात्रा में गुड़ मिलाकर 1-3 ग्राम की मात्रा में, गाय के दूध के साथ लगातार एक माह या छह सप्ताह तक लेते रहने से नपुंसकता में लाभ होता है।
प्रसव (डिलीवरी) के बाद - प्रसव के बाद महिलाओं को तेज दर्द होता है और इस दर्द को दूर करने में तुलसी की पत्तियां काफी लाभदायक हैं। तुलसी के पत्ते का रस पुराना गुड़ तथा खाँड़ मिलाकर प्रसव होने के बाद तुरन्त पिलाने से प्रसव के बाद होने वाले दर्द से आराम मिलता है।
पीलिया - पीलिया एक ऐसी बीमारी है जिसका सही समय पर इलाज ना होने से यह आगे चलकर गंभीर बीमारी बन जाती है। 1-2 ग्राम तुलसी के पत्तों को पीसकर छाछ के साथ मिलाकर पीने से पीलिया में लाभ होता है। इसके अलावा तुलसी के पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से भी पीलिया में आराम मिलता है।
मूत्र में जलन - मूत्र में जलन होने पर भी तुलसी के बीज का उपयोग करने से आराम मिलता है। तुलसी के बीज और जीरे का चूर्ण 1 ग्राम लेकर उसमें 3 ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ लेने से मूत्र में जलन, मूत्रपूय तथा वस्तिशोथ (ब्लैडर इन्फ्लेमेशन) में लाभ होता है।
अपच - अगर आपकी पाचन शक्ति कमजोर है या फिर आप अपच या अजीर्ण की समस्या से पीड़ित रहते हैं तो तुलसी का सेवन करें। इसके लिए तुलसी की 2 ग्राम मंजरी को पीसकर काले नामक के साथ दिन में 3 से 4 बार लें।
डायरिया और पेट की मरोड़ - गलत खानपान या प्रदूषित पानी की वजह से अक्सर लोग डायरिया की चपेट में आ जाते हैं। खासतौर पर बच्चों को यह समस्या बहुत होती है। तुलसी की पत्तियां डायरिया, पेट में मरोड़ आदि समस्याओं से आराम दिलाने में कारगर हैं। इसके लिए तुलसी की 10 पत्तियां और 1 ग्राम जीरा दोनों को पीसकर शहद में मिलाकर उसका सेवन करें।
सूखी खांसी और दमा - तुलसी की पत्तियां अस्थमा के मरीजों और सूखी खांसी से पीड़ित लोगों के लिए भी बहुत गुणकारी हैं। इसके लिए तुलसी की मंजरी, सोंठ, प्याज का रस और शहद को मिला लें और इस मिश्रण को चाटकर खाएं, इसके सेवन से सूखी खांसी और दमे में लाभ होता है।
गले की समस्याओं - गले में आराम पाने के लिए तुलसी के रस को हल्के गुनगुने पानी में मिलाकर उससे कुल्ला करें। इसके अलावा तुलसी रस-युक्त जल में हल्दी और सेंधानमक मिलाकर कुल्ला करने से भी मुख, दांत तथा गले के सब विकार दूर होते हैं।
तुलसी से हानि
तुलसी की पत्ती को चबाकर नहीं खाना चाहिए ये पूरी तरह से गलत है। तुलसी के पत्ते चबाकर न खाने के पीछे वैज्ञानिक कारण है इसकी पत्ती में मर्करी और आइरन होता है, जो कि चबाने पर ही निकलता है। ये आपके दांतों को नुकसान पहुंचाते हैं। साथ ही तुलसी की पत्ती एसिडिक होती हैं। अगर आप रोजाना काफी मात्रा में तुलसी चबाते हैं तो दांत खराब हो सकते हैं। तुलसी की पत्ती चबाने की जगह आप इसे पानी से निगल सकते हैं।
प्रजनन क्षमता - तुलसी उन महिलाओं की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है जो गर्भ धारण करने की कोशिश कर रही हैं।
तुलसी की चाय - कुछ लोग जब अपने खाने में पहली बार तुलसी की चाय को शामिल करते हैं तो उन्हें मतली या दस्त का अनुभव होता है,आप कम मात्रा में शुरुआत करें और समय के साथ बढ़ाएं।
साबधानियॉ
तुलसी के पत्तो में पारा यानी की मर्करी पाया जाता है । आयरन पाया जाता है इसलिए तुलसी के पत्तो को कभी भी चबा कर नहीं खाना चाहिए वरना दांत खराब हो जाते है ।
तुलसी को कभी भी दूध के साथ नहीं लेना चाहिए ।कुछ लोग तुलसी वाली चाय बड़े चस्के के साथ पीते है वो भी दूध वाली तो अगर आप भी ऐसे करते है तो ना करे ये बहुत बुरा प्रभाव डालता है शरीर पर दूध पीने के एक घंटे बाद तक तुलसी नहीं खानी चाहिए ।
तुलसी के फायदे बहुत ज्यादा है तो तुलसी जरूर ले मगर जब भी ले सीधे पत्ते पानी के साथ निगल ले चबा कर नहीं खाएं तुलसी को लगातार ज्यादा मात्रा में सेवन ना करे ।वरना ये कई बीमारियों का कारण बन सकता है।
तुलसी से ओजोन परत के लिए लाभ
तुलसी शरीर के स्वास्थ्य के साथ-साथ वातावरण को शुद्ध करता है तथा पर्यावरण को संतुलित बनाने में मदद करती है।तुलसी ना केवल ओजोन लेयर को बचाती है बल्कि इसका पुनर्निर्माण भी करती है कार्बन मानो ऑक्साइड, कार्बन डाई ऑक्साइड व सल्फर डाईऑक्साइड जैसी जहरीली गैस भी सोखता है। तुलसी का पौधा वायु प्रदूषण को कम करता है। तुलसी में यूजेनॉल नाम का कार्बनिक योगिक होता है जो मच्छर, मक्खी और कीड़े भगाने का काम भी करता है। इस तरह वायु प्रदूषण कम करने मदद करती है तुलसी
मच्छर से बचाब
तुलसी में यूजेनॉल नाम का कार्बनिक योगिक होता है जो मच्छर, मक्खी और कीड़े भगाने का काम भी करता है।साथ ही साथ इसकी गंध से मच्छर भी भाग जाते है
इसे खाने के बेस्ट तरीकों में से एक ये भी है कि आप इसे काढ़ें या फिर चाय में उबालकर पी सकते हैं।
बहुत अच्छी जानकारी साझा तो है इस पोस्ट मे
ReplyDeleteTHANK YOU
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